भारत के पर्वत पठार एवं मैदान MCQ – Questions Quiz in Hindi

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भारत विविधता का देश है, और इस देश का एक रोमांचकारी पहलू उसकी समृद्ध भूवैज्ञानिक इतिहास है। सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान भारत का एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत की भूवैज्ञानिक विविधता को प्रदर्शित करता है।

इस मैदान का क्षेत्र उत्तरी और पूर्वी भारत और बांग्लादेश में फैला हुआ है। आज हम इसी मैदान के कुछ प्रश्न उत्तर देखेंगे जो आपके सभी एग्जाम्स के लिए महत्वपूर्ण है।

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Indian Geography

Indian Geography Quiz | पर्वत, पठार और मैदान - 1

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1. कुमाऊँ हिमालय निम्नलिखित में किन नदियों के बीच स्थित है?

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2. उत्तर प्रदेशीय हिमालय का सर्वोच्च शिखर है-

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3. पीर पंजाल श्रेणी पाई जाती है -

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4. निम्नलिखित में से कौन-सा पर्वतीय क्रम सबसे पुराना है?

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5. भारतीय प्रायद्वीप की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है-

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6. निम्नलिखित में से कौनसी पर्वतीय चोटी पूर्वी घाट में अवस्थित नहीं है?

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7. निम्न हिमालय पर्वतश्रेणियों में से किस पर्वतश्रेणी को अटल टनल पार करती है?

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8. भारत का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है-

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9. सियाचिन हिमनद कहाँ स्थित है?

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10. हिमालय पर्यायवाची है-

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प्रश्न: सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान का निर्माण कैसे हुआ और इसकी वर्तमान स्थिति क्या है?

उत्तर: सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान मुख्य रूप से हिमालय पर्वत-निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण के दौरान बना एक विवर्तनिक अवसाद है, जो लगभग 64 मिलियन वर्ष पहले हुआ था।

मैदान का निर्माण भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से हुआ था। तब से, मैदान को विभिन्न भूगर्भीय प्रक्रियाओं द्वारा आकार और परिवर्तन किया गया है, जिसमें इसके माध्यम से बहने वाली नदियों से कटाव और अवसादन शामिल हैं।

प्रश्नः भारत की भूगर्भीय संरचना में सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान का क्या महत्व है?

उत्तर: सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भारत का तीसरा प्रमुख भूवैज्ञानिक क्षेत्र है, जो मुख्य रूप से लगभग 64 मिलियन वर्ष पहले हिमालय पर्वत-निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण के दौरान बना था।

मैदानी जल तालिका की औसत गहराई 1000 से 2000 मीटर के बीच है। यह मैदान भारतीय उपमहाद्वीप की भूवैज्ञानिक और स्थलाकृतिक प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है और मिट्टी और भू-आकृतियों जैसे अन्य कारकों पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

भूवैज्ञानिक और स्थलाकृतिक प्रक्रियाओं का भारत के उपमहाद्वीप पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे यह भूवैज्ञानिकों और भूगोलवेत्ताओं दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाता है।

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