
हमारे भारत देश में अनेक प्रकार के पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। जिनका अपना विशेष धार्मिक और सामाजिक महत्व मौजूद है। इसी तरह से रक्षाबंधन का पर्व भी बेहद उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का पर्व विशेष तौर पर भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है।
इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि धागा बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। हमारे आज के इस लेख में हम आपको रक्षाबंधन के पर्व का महत्व और मनाने का तरीका बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।
रक्षाबंधन का पर्व कब और कैसे मनाते हैं?
भारत में हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। जिसे राखी के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के हाथ की कलाई पर धागा बांधती हैं और इसके बदले में भाई अपनी बहनों को ताउम्र रक्षा का वचन देते हैं।
इस पर्व को मनाने के पीछे कई सारी धार्मिक और सामाजिक कहानियां मौजूद है। जिसकी वजह से हर साल रक्षाबंधन का पर्व बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पुराने समय में गुरु अपने शिष्यों को राखी बांधते थे, छोटी कन्याएं अपने पिता को राखी बांधती थी।
जबकि आधुनिक समय में बहनें भाइयों के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती हैं, मिठाई खिलाती हैं, का तिलक करती हैं और फिर भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। इतना ही नहीं आज के समय में यदि कोई बहन अपने भाई से दूर है, तो डाक के माध्यम से बहनें अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई भेजकर राखी का पर्व मनाती हैं।
रक्षाबंधन की कहानी हिंदी में
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार लेने के बाद भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दी थी। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु की भक्ति कर उन्हें हमेशा अपने पास या सामने रहने का वचन ले लिया था।
जिसके बाद लक्ष्मी जी ने राजा बलि के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई स्वीकार किया था और राजा बलि से बदले में भगवान विष्णु को वापिस प्राप्त कर लिया था। कहा जाता है उस दिन श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि थी, तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।
ऐतिहासिक तथ्यों पर दृष्टि डालें तो मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल के राजा हुमायूं को रक्षा सूत्र भेज कर राखी का पर्व बनाया था और राज्य को बचाया था। उधर, सिकंदर की पत्नी ने भी पुरु राजा के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर सिकंदर के प्राणों की रक्षा की थी।
जबकि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने भी द्रौपदी के चीर हरण के दौरान उनकी रक्षा का वचन निभाया था। तभी से रक्षाबंधन का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
निष्कर्ष
हमारे भारत देश में होली, दिवाली, दशहरा, नवरात्र, ईद, क्रिसमस और लोहड़ी इत्यादि त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। भारतीय समाज की यह खासियत रही है कि यहां मनाए जाने वाले प्रत्येक त्योहार के पीछे एक विशेष महत्व छिपा है।
प्रत्येक त्योहार उन महत्व की पूर्ति के उद्देश्य से, सामाजिक और धार्मिक समाज को गति देने के लिए, पूर्ण सहयोग और उत्साह के साथ मनाया जाता है।