राष्ट्रीय एकता पर निबंध – Rashtriya Ekta Par Nibandh Likhiye

हमारा भारत देश सदैव से ही संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणास्रोत रहा है। जहां सामाजिक, प्राकृतिक और भौगोलिक भिन्नता होने के बावजूद भी लोग आपस में एकजुट होकर रहते हैं।
भारत जैसे प्राचीन समय में विश्व गुरु का दर्जा दिया गया था, आज भी उस भारत में अनेकता में एकता का गुण परिलक्षित होता है। यह सब कुछ भारत देश में मौजूद राष्ट्रीय एकता की वजह से संभव हो सका है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह राष्ट्रीय एकता क्या होती है? यदि नहीं तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में बताएंगे।
राष्ट्रीय एकता क्या है?
वह एकता जो संपूर्ण देश में भिन्नताएं होने के बावजूद राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोकर रखती है, राष्ट्रीय एकता कहलाती है। हमारा भारतीय संविधान भी राष्ट्रीय एकता के सूत्रों से बंधा हुआ है।
जिसमें भी किसी प्रकार की जाति, धर्म और व्यक्ति विशेष को सर्वोच्च स्थान नहीं दिया गया है, बल्कि सभी को समान अवसर और स्वतंत्रता प्रदान की गई हैं। जिस कारण भारत देश को राष्ट्रीय एकता को एकीकृत करने वाले राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया गया है। जहां प्रत्येक व्यक्ति अपने हित से पहले राष्ट्र को सर्वोपरि रखता है।
जिस देश में सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और वैचारिक अंतर तो मौजूद होता है, लेकिन इसके बावजूद सभी लोग देश हित में समान व्यवहार करते हैं, तो इसे राष्ट्रीय एकता कहा जाता है। यह राष्ट्रीय एकता के वजह से ही संभव हो पाया है कि संपूर्ण विश्व के देश आपस में मैत्री संबंध स्थापित करते हैं और एक दूसरे देशों की गरिमा को बनाए रखने में सहयोग प्रदान करते हैं।
इस प्रकार किसी भी राष्ट्र या देश की उन्नति तभी संभव है जब उसके सभी नागरिक अपने हित को साधने से पहले राष्ट्र के निर्माण में अपना सर्वस्व योगदान दें, तभी किसी भी राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता के स्वप्न को साकार किया जा सकता है।
राष्ट्रीय एकता में कौन सी बाधाएं है?
- राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा मैं यानि अहंकार की भावना है।
- यदि कोई राष्ट्र या देश केवल अपनी संस्कृति, भाषा, विचारों, साहित्य और बोली को ही सर्वश्रेष्ठ मानता है, तो ऐसा राष्ट्र कभी भी राष्ट्रीय एकता को मजबूत नहीं करता, बल्कि वह मतभेद का कारण बनता है।
- नेताओं और देश में फूट की भावना रखने वाले लोगों के द्वारा जनता के बीच द्वेष उत्पन्न कराकर भी राष्ट्रीय एकता को ठेस पहुंचती है। इस दौरान सब लोग सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो जाते हैं, जोकि देश को भीतर से खोखला करने का कार्य करती है।
- जिस तरह से भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक राज्य तो अलग-अलग हैं, लेकिन सभी लोग स्वयं को भारतीय कहते हैं। इसके विपरीत यदि इन प्रदेशों में रहने वाले लोग देश से अधिक अपने प्रदेश को वरीयता दें, तो ऐसा करने से भी राष्ट्रीय एकता भंग होती है।
- जिस देश या राष्ट्र के नागरिक सदैव लड़ाई-झगड़ा करते हैं और हमेशा एक दूसरे के प्रति रोष व्यक्त करते हैं, तो ऐसे देश में हमेशा राष्ट्रीय एकता के चोटिल होने का खतरा बना रहता है।
- इसके अलावा राष्ट्रीय एकता के मार्ग में आतंकवाद, रंगभेद, अराजकता, वोट बैंक की राजनीति इत्यादि अनेक बाधाएं हैं, जिसकी वजह से कोई भी राष्ट्र या देश राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार किसी भी देश और राष्ट्र की सच्ची संपत्ति उसके नागरिकों में विद्यमान राष्ट्रीय एकता का गुण होता है। इसके आधार पर ही कोई भी देश तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता है।
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राष्ट्रीय एकता के कंधों पर ही समग्र विश्व की शांति और संपन्नता निर्भर करती है। ऐसे में राष्ट्रीय एकता सामाजिक विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय व समाज की अखंडता के लिए भी आवश्यक है।