वायकोम सत्याग्रह (Vaikom Satyagraha) और उसका शताब्दी समारोह 2023

Vaikom Satyagraha T.K. Madhavan

समय-समय पर भारत में जातिवाद और छुआछूत के विरोध में कई सारे आंदोलन हुए। इन्हीं आंदोलनों में से एक था वायकोम सत्याग्रह। यह एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन था, जोकि दलितों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति ना मिलने पर छेड़ा गया था।

इस आंदोलन में उस समय कांग्रेस पार्टी के कई नेता शामिल हुए। जिसका परिणामस्वरूप वायकोम सत्याग्रह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इस बार उसके शताब्दी समारोह के अवसर पर हमें वायकोम सत्याग्रह के बारे में अवश्य जानना चाहिए।

वायकोम सत्याग्रह का इतिहास क्या है?

श्रावणकोर साम्राज्य जोकि अब केरल राज्य का हिस्सा है। वहां एक समय पर नीची और अछूत जाति के हिंदुओं को वायकोम मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।

इतना ही नहीं, दलित जाति के लोगों को मंदिर के आसपास भी भटकने नहीं दिया जाता था, अगर किसी भी दलित या नीची जाति के व्यक्ति की परछाई भी मंदिर पर पड़ जाती थी, तो उसे दंडनीय अपराध माना जाता था। ऐसे में इसी के विरोध में ऐतिहासिक जन आंदोलन की शुरुआत हुई।

वायकोम सत्याग्रह की शुरुआत कब हुई थी?

इस आंदोलन की शुरुआत 30 मार्च 1924 से लेकर 23 नवंबर 1925 के दौरान हुई थी। जिसमें कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता जैसे, के. पी. केशव मेनन, के. केलप्पन, टी. के. माधवन आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। टी के माधवन के नेतृत्व में ही दलित व्यक्तियों के प्रवेश की अर्जी डाली गई।

शुरुआत में इस आंदोलन की वजह से जनता को कई बार मारपीट और पुलिस की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा, यहां तक की भूख हड़ताल भी करनी पड़ी। इस दौरान क्रूर प्रशासन के लोगों द्वारा आंदोलन करने वाले किसी भी उम्र के व्यक्ति को नहीं बख्शा गया।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वायकोम सत्याग्रह में क्या भूमिका निभाई?

वायकोम सत्याग्रह के माध्यम से दलित और नीची जातियों के लोगों को मंदिर के आसपास की सड़कों का प्रयोग करने दिया जाए, इसकी मांग की गई।

ऐसे में वर्ष 1925 में जब महात्मा गांधी वायकोम पहुंचे, तब वहां पर दलित लोगों के लिए मंदिर के आसपास की सड़कों का इस्तेमाल करने पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया।

हालांकि तब तक मंदिर दलित लोगों के लिए बंद ही रखा गया। इसके बाद वर्ष 1936 में मंदिर प्रवेश उद्घोषणा के बाद और नीची जाति के लोगों को वायकोम महादेव मंदिर में प्रवेश मिला।

दलित और नीची जाति के लोगों को वायकोम महादेव मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए कांग्रेस के नेताओं को कई बार जेल भी जाना पड़ा। इतना ही नहीं यह उस समय का पहला ऐसा आंदोलन था जिसमें सबसे अधिक महिलाओं ने भाग लिया।

वायकोम सत्याग्रह का नायक किसे कहा जाता है?

वायकोम सत्याग्रह में वैसे तो कई बड़े-बड़े नेताओं और समाज सुधारकों ने भाग लिया। लेकिन द्रविड़ आंदोलन के जनक कहे जाने वाले ई वी रामस्वामी पेरियार को वायकोम सत्याग्रह में एक लंबे समय तक संघर्ष करने की वजह से वायकोम वीर के नाम से जाना जाता है।

जोकि वायकोम सत्याग्रह आंदोलन के दौरान कई बार गिरफ्तार हुए, लेकिन वायकोम सत्याग्रह की वजह से समाज को यह संदेश मिला कि बिना हिंसा किए भी आप सामाजिक सहयोग के बल पर अपने हक की लड़ाई लड़ सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

वायकोम सत्याग्रह का शताब्दी समारोह 2023 कब मनाया जाएगा?

वायकोम सत्याग्रह का शताब्दी समारोह 1 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा।

वैकोम आंदोलन के संस्थापक कौन थे?

वैकोम आंदोलन के संस्थापक टी. के. माधवन थे।

क्या गांधी जी ने वैकोम सत्याग्रह में भाग लिया था?

हाँ, गांधी जी ने वैकोम सत्याग्रह में भाग लिया था। वर्ष 1925 में जब महात्मा गांधी वायकोम पहुंचे थे।

निष्कर्ष

साल 2023 में 1 अप्रैल को वायकोम सत्याग्रह का शताब्दी समारोह केरल के कोट्टायम नगर में मनाया जाएगा।

इस दौरान शताब्दी समारोह के कार्यक्रम का उद्घाटन केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन करेंगे।

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