सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर, सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर

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सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर

प्रश्न. “सम सुबरन सुखमाकर सुखद न थोर । सीय अंग सखि कोमल कनक कठोर।।” इस उद्धरण में अलंकार है-

(a) उपमा

(b) अतिशयोक्ति

(c) परिसंख्या

(d) व्यतिरेक

उत्तर: (d) उपर्युक्त उदाहरण में ‘व्यतिरेक‘ अलंकार है। व्यतिरेक अलंकार-उपमेय की उपमान से अधिकता या न्यूनता सूचित करने वाले अलंकार को ‘व्यतिरेक’ कहते हैं।

उदाहरण

जन्म सिन्धु पुनि बन्धु विष, दिन मलीन सकलंक। सिय मुख समता पाव किमि, चन्द्र बापुरो रंक ।।

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