Samas MCQ Class 8: समास कितने प्रकार के होते हैं?
समास mcq class 8: जब दो अलग अलग अर्थों वाले शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बनाया जाता है तो उसे हिंदी व्याकरण में समास कहा जाता है। अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जब कोई नया शब्द बनता है तो उसे ही समास कहते हैं।

अर्थात जब हम शब्दों को छोटा रूप देते हैं तो यह प्रक्रिया समास ही कहलाती है जैसे विद्यालय जिसमे विद्या और आलय से मिलकर इसे बनाया गया है। समास का हिंदी व्याकरण में बहुत महत्व है। समास मतलब होता है शब्दों का छोटा रूप।
समास कितने प्रकार के होते हैं?
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. द्वन्द्व समास
4. बहुब्रीहि समास
5. द्विगु समास
6. कर्म धारय समास
1. अव्ययीभाव समास
जिस समास का पहला पद प्रधान हो और उसमे अनु , प्रति, यथा, तथा, आ जैसे अव्यय लगे हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
- अनुकूल = मन के अनुसार
- अनुरूप = रूप के अनुसार
- आजीवन – पुरे जीवन भर
2. तत्पुरुष समास
जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है और साथ ही साथ ही पहला पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं. तत्पुरुष समास से बने शब्दों का विग्रह करते समय हमेशा का , के की जैसे वर्णों का लोप रहता है |
उदहारण –
- देश प्रेमी – देश को प्रेम करने वाला
- हिमशिखर – हिम का शिखर
- हिमालय – हिम (बर्फ ) का आलय
तत्पुरुष समास को भी छः भागों में बांटा गया है |
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
3. कर्मधारय समास
कर्मधारय समास में पहला पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है . वही पहला पद विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य और साथ ही साथ पहले और दुसरे पद में उपमेय और उपमान का सम्बन्ध भी होता है .
उदाहरण –
बाहुबली – भुजाएं हैं विशाल जिसकी
पीताम्बर – पीला है अम्बर जिसका
महापुरुष – महान है जो पुरुष
नील कंठ – नीला है कंठ जिसका
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4. द्विगु समास
द्विगू समास में भी तत्पुरुष समास की तरह ही प्रथम पद गौण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है. साथ ही यह कुछ हद तक कर्मधारय समास के जैसा ही होता है क्यूंकि इसमें भी पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है, लेकिन दोनों में अंतर सिर्फ इतना है की द्विगु समास में पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जबकि कर्मधाराय समास में पहला पद किसी भी प्रकार का विशेषण हो सकता है |
उदाहरण
- तिरंगा – तीन रंग वाला
- अष्टभुजाधारी – आठ भुजाओं वाला
- पंचतंत्र = पाँच तंत्रों का समाहार
- नवग्रह – नौ ग्रहों का समूह
5. बहुव्रीहि समास
इस समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं परन्तु ये दोनों ही पद जिस शब्द को बनाते हैं , यह उसकी विशेषता बनाते हैं और बहुब्रीहि समास में वह पद प्रधान होता है|
उदहारण
- दशानन – दश हैं आनन जिसके ( यहाँ दोनों ही पद अप्रधान हैं और यह किसी तीसरे शब्द यानी रावण की विशेषता बता रहे हैं )
- नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात महादेव
- इन्द्रजीत – इंद्र पर जीत जिसने हासिल की अर्थात मेघनाथ
- लम्बोदर – लम्बा है उदर जिसका अर्थात गणेश जी
उपयुक्त बहुव्रीहि समास के पहले और दुसरे पद ,दोनों ही गौण हैं और वह किसी तीसरे ही शब्द को प्रदर्शित कर रहे हैं |
6. द्वंद समास
द्वन्द समास में दोनों ही पद प्रधान होते हैं। द्वंद समास में दो पदों के बीच में योजक ‘ – ‘ का चिन्ह लगा होता है | इसमें अगर शब्दों का विग्रह करें तो दोनों शब्दों के बीच समुच्चयबोधक अव्यय और तथा का प्रयोग किया जाता है।
उदहारण –
- राजा-रानी = राजा और रानी
- सीता – राम = सीता और राम
- राधे -कृष्णा = राधा और कृष्ण
- भूल-चूक = भूल या चूक
- दाल-रोटी = दाल और रोटी